क्या रामायण काल में डाइनासॉर थे इस धरती पर कभी ऐसा विशाल कई जीव हुआ करते थे, जो आज शहरों में बनी इमारतें के बराबार हुए करते थे,फिर वक्त के साथ-साथ लोगों ने बाद में इस जीव का नाम डायनासोर दे दिया जिसका इतिहास लाखों करोडो साल पुराना है. आपने ऐसी कहानिया या फिल्में जरुर में देखी होंगी जो ये बताती है कि हजारों लाखों साल पहले डाइनासॉर हुआ करते थे.
लेकिन आपको बता दे इन पर्दे के पीछे दिखने वाले फिल्में कहानियां और इतिहास में जमीन आसमान का फर्क है और आज हम इस लेख के माध्यम से जानने की कोशिश करेंगे कि आखिर डाइनासॉर कब से कब तक पृथ्वी पर थे.अगर ये इतने प्राचिन है तो क्या रामायण काल में डाइनासॉर का कोई अस्तित्व था ? तो मित्रों शुरू करते हैं उन सारी जानकारियों के बारे में जानने के लिए जो डायनासोर के अस्तित्व का होने का प्रमाण देता है.
असल में रामायण काल को लेकर ,लोग भ्रम में रहते हैं कि वालमिकी जी ने जो रामायण लिखी उसका इतिहास तीस हजार साल पुराना है.जबकि भगवान राम का जन्म विज्ञान के मुताबिक नौ हजार साल पहले हुआ था. हालांकि धर्म के हिसाब से बात की जाए तो भगवान राम का जन्म त्रेता युग में हुआ था.त्रेता युग के बाद द्वापर युग आया और अभी का समय जो चल रहा है वह कलयुग है
इस हिसाब से भगवान राम का जन्म करीब 12 लाख साल हजार साल पहले हुआ.अगर आप इसे करोड़ों में बताएंगे तो रामायण कई करोड़ साल पहले की बात है और शोध के मुताबिक डायनासोर का इतिहास करीब 23 करोड़ साल पहले का है करीब 16 करोड़ साल तक डायनासोर का वर्चस्व इस धरती पर सबसे विशाल जीव के रूप में माना गया है इस हिसाब से रामायण काल में डायनासोर का अस्तित्व नहीं होना चाहिए.
हालांकि रामायण काल में इंसान की औसत लंबाई ही करीब 21 फिट तक की थी.आज आपको औसतन 6-7 फिट की लोग ही दिखाई देते हैं.इसके अलावा वानर,रीच,गरुड़ और दूसरे जानवर भी काफी विशाल हुआ करते थे और यदि आप इसे आधार मानेंगे तो हो सकता है कि डायनासोर का अस्तित्व भी हो सकता है गोस्वामी तुलसीदास जी ने रामचरित्र मानस में डायनासोर का जिक्र तो नहीं किया है
लेकिन उन्होंने सुंदरकांड में लिखा है कि जब हनुमान जी समुद्र उस पार लंका के लिए रवाना हुए थे तो देवताओं ने उनकी परीक्षा के लिए विशाल राक्षस सुरसा को भेजा था, जिसने 16 योजन यानी की 128 किलोमीटर में अपना मुंह फैला लिया था ताकि हनुमान जी को खा सके लेकिन तुरंत ही हनुमान जी उससे दोगुनी यानी 32 योजन के हो गए,फिर उसने जैसे ही हनुमान जी से भी बड़ा मुंह फैलाया हनुमान जी तुरंत छोटा सा मच्छर इतना रूप धारण करके उसके मुंह में प्रवेश करके वापस निकल आए
इसे सुरसा ने हनुमान जी के बल बुद्धि दोनों का अंदाजा लगा लिया अब आपके मन में यह ख्याल आ सकता है कि अगर इतने बड़े मुंह वाले मायावी राक्षस यदि हो सकते हैं तो डायनासोर क्यों नहीं और आपके मन में यह भी सवाल उठ सकता है कि यदि डायनासोर इस धरती पर थे तो उनका कोई प्रमाण क्यों नहीं मिलता,आपको बता दे कि वाल्मीकि की रामायण से लेकर के गोस्वामी तुलसीदास के रामचरित्र मानस मैं इनका जिक्र कहीं नहीं मिलता है,
इसका कारण ये भी हो सकता है कि शायद इसका प्रसंग ही कहीं ना आया हो.क्योंकि रामायण में कई अन्य बातों का भी जिक्र नहीं हुआ है, इसके अलावा एक कारण ये भी हो सकता है कि इस भयानक दिखने वाले जीव को डायनासोर नाम तो हम लोगों ने दिया है, हो सकता है कि इसकी प्रजातियों को तब बड़े और विशालकाई जीव कहकर बुलाया जाता हो
इसका यह भी कारण हो सकता है कि वरुण देवता के बड़े सवारी मकर और तिमीलिंगा जैसे समुद्र जीव भी इसी लुप्त हो चुके प्रजाति का हिस्सा रहे हो वैसे आपको बता दूं कि हिंदू धर्म में रामायण से भी पुराना वेद ऋग्वेद को माना जाता है, ऋग्वेद काल के बारे में ज्यादा जानकारी तो नहीं मिलती, लेकिन अगर आप उस वक्त डायनासोर को ढूंढेंगे तो शायद ये नहीं मिले, क्योंकि यह वेदों में भी इसका कोई जिक्र नहीं मिलता है.
सिर्फ डायनासोर ही नहीं बल्कि वेदों और पुराणों में तो कंगारू, कीवी, प्लेटीपस, आर्माडिलो, और पेंगुइन जैसे किसी भी ऐसे पशु पक्षी का जिक्र तक नहीं है, जो भारतीय उपमहाद्वीप के बाहर पाया जाता हो उस समय से लेकर 19वीं सदी मैं डार्विन द्वारा विकासवाद के खोज के पहले तक ना तो किसी को डायनासोर का पता था और ना ही विकासवाद का और ना लोगों को यह भी पता था कि आखिर लोगों की जीवन उत्पत्ति कैसे हुई
आज भी धर्म यही मानता है कि हम सब सारे लोग मनु शतरूपा और एडम हौआ की संतान है, इसलिए ऐसे सवाल जब-जब उठते हैं तो हमे इतिहास के पन्नों को पलटना पड़ता है, हमारी पढ़ने की आदत छूट चुकी है, और आज के जमाने में अक्सर हमलोग व्हाट्सएप और अन्य सोशल मीडिया को पढ़कर और समझ कर विश्वास कर लेते हैं,जबकि हम खुद अनुमान लगाए, और उसे कालखंड के बारे में थोड़ी सी भी जानकारी रखें, तो आप यह आसानी से अंदाजा लगा पाएंगे कि जो जानकारी आपके सामने रखी जा रही है वह सच है या फिर झूठ
आपको बता दे की कुछ लोग मानते हैं कि डायनासोर का अस्तित्व इस धरती पर था, जबकि इस बात को नहीं मानते की रामायण काल के 12 लाख हजार साल पहले कोई प्रासंगिक था, धरती पर कभी भगवान राम का अवतार हुआ था, ऐसे में लोग सिर्फ और सिर्फ अपने आप को विज्ञान के सहारे आधुनिकता का हीरो साबित करना चाहते हैं,जबकि आप जान के हैरान हो जाएंगे की रामायण से जुड़े कई ऐसे रहस्य हैं जो विज्ञान अभी तक सुलझा नहीं पाया है
धर्म ग्रंथ यह कहता है कि राम राज में इंसान से लेकर पशु तक सब सुखी में था, किसी को कोई बात की कोई तकलीफ नहीं थी, और यदि ऐसा है, और डायनासोर उसके पहले से रहा होगा तो मान के चलिए रामायण काल में वो तो विलुप्त हो ही नहीं सकता,हालांकि डायनासोर का नाम सुनते ही हमारे दिलो दिमाग में एक के विशालकाय जानवर की तस्वीर बन जाती है, जो कि ये एक आम बात है, आज जैसे हम डायनासोर के बारे में चिंतित है वैसे ही कई पशु पक्षी धरती से विलुप्त यानी धीरे-धीरे समाप्त होने के कगार पे हैं
हमें उनके बारे में सोचना होगा,धर्म हर अच्छाई चीज का रक्षा करना सीखना है, पर आज लोग धर्म को नजर अंदाज और भूलते जा रहे हैं,इसीलिए बहुत से लोगों को पशु पक्षियों और जानवरों के प्रति प्यार स्नेह और समर्पण नहीं रह गया है,इसीलिए रामायण काल में इतिहास जानने के साथ-साथ अभी के हो रहे हैं विलुप्त जानवरों के बारे में भी सोचना होगा।
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