इन 8 नियमों का ख्याल रखें, वरना जिंदगी भर रहेंगे परेशान
अगर घर वास्तु शास्त्र के अनुसार बनाए जाए या फिर खरीदा जाए तो फिर घर में हमेशा सुख शांति बनी रहती है, वहीं अगर घर बनवाते समय ,वास्तु शास्त्र का बिल्कुल भी ख्याल ना रखा जाए तो घर में हमेशा अशांति और कलह का दोष बना रहता है,घर बनवाना सभी के जीवन का एक सबसे बड़ा सपना होता है,इसीलिए जब हम घर बनवाते हैं तो हर छोटी-छोटी बातों का ध्यान रखना बेहद जरूरी हो जाता है
अक्सर घर बनवाते समय हम नियमों को नजर अंदाज कर देते हैं जो कि हमें भविष्य में इसका सामना करना पड़ सकता है और हमें मुसीबत में हमेशा डालता रहता है,आपको बता दे कि भारतीय परंपराओं के अनुसार,वास्तु शास्त्र का एक विशेष स्थान दिया गया है जो कि घर में सकारात्मक ऊर्जा और समृद्धि लाने के लिए मदद करता है। और हम इस ब्लॉग में पड़ेंगे उन नियमों को और निर्माण से जुड़े बातों की चर्चा करेंगे जिनका पालन करना बहुत ही आवश्यक है ताकि घर में सुख शांति समृद्धि और प्रेम बनी रहे।
1. घर की नींव की खुदाई करते समय इन बातों का रखें ध्यान
जब भी आप घर की नींव की खुदाई करवाने जा रहे हैं,तो इस बात का जरूर ध्यान रखें कि घर का पहला नींव का खुदाई उत्तर और पूर्व दिशा से ही होनी चाहिए
जबकि पश्चिम दिशा में सबसे अंत में खोदना चाहिए, और वहीं दूसरी ओर दीवार की निर्माण सबसे पहले दक्षिण से करना चाहिए,उसके बाद पश्चिम दिशा की,सबसे अंत में आप उत्तर और पूर्व दिशा में दीवार बनवाएं
2. घर बनवाते समय आप खिड़कियों का पूरा ध्यान रखें
घर बनवाते समय आप खिड़कियों का पूरा ध्यान रखें की खिड़कियां कौन दिशा में बनवा रहे हैं,क्योंकि वास्तु शास्त्र के अनुसार
घर में खिड़कियों का सही जगह पर होना बहुत ही महत्व दिया गया है, यदि आप खिड़कियों को हमेशा उत्तर व पूर्व दिशा में निर्माण करवाते हैं तो इससे घर में हमेशा पॉजिटिव एनर्जी आती है
3. मेन गेट
वास्तु शास्त्र के अनुसार,घर बनवाते समय इस बात का जरूर ध्यान रखें की घर का मुख्य द्वार,पूर्व -उत्तर पूर्व,या पश्चिम दिशा में होना चाहिए,और यदि मुख्य द्वार उत्तर दिशा में संभव नहीं है तो आप इसे पूरब और उत्तर -पूर्व दिशा में भी बनवा सकते है।
अगर हम इस बात का ध्यान नहीं रखेंगे तो घर में नेगेटिव एनर्जी का प्रवेश होना माना जाता है,जिससे परिवार में कलह आर्थिक तंगी और परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है,वहीं अगर आप में गेट को इस दिशा में बनवाते हैं तो घर में सौभाग्य और सुख शांति का प्रवेश होता है।
4. किचन
वास्तु शास्त्र के अनुसार किचन का सही जगह पर बनवाना विशेष महत्व दिया गया है, घर के किसी भी कोने में रसोई का निर्माण करवाना सही नहीं माना जाता है, यदि आपके घर का किचन दक्षिण पूरब दिशा में यानी आग्नेय में है तो इससे बहुत ही शुभ माना जाता है
किचन बनाते समय इस बात का ख्याल जरूर रखें की भोजन बनाने वाला चूल्हा या स्टोव पूर्व दिशा में ही रखें, किचन में नल,पीने का पानी या बेसिन हमेशा उत्तर पूरब दिशा में ही बनवाए और फ्रिज को हमेशा पश्चिम दिशा में रखें, एक बात का जरूर ध्यान रखें की किचन का दरवाजा भोजन बनाने वाले के ठीक पीछे बिल्कुल भी नहीं होना चाहिए।
5. आंगन
वैसे तो घर में जगह की कमी के कारण आंगन आजकल फ्लैट या घरों में नहीं बन रहे हैं वैसे वास्तु शास्त्र के अनुसार घर में आंगन का एक विशेष महत्व दिया गया है,आंगन के बिना घर अधूरा सा है,वास्तु शास्त्र के अनुसार तीन तरह के आंगन को शुभ बताया गया है, पहले आंगन जो घर के सामने हो, दूसरा घर के पीछे और तीसरा आंगन घर के बीचो-बीच होता है
वास्तु शास्त्र के अनुसार उत्तर और पूर्व दिशा में आंगन का होना शुभ माना जाता है,और यदि आपके घर का आंगन बीचो-बीच है तो उत्तर में पूजा घर,आग्नेय यानी दक्षिण पूर्व में रसोई घर होना चाहिए,घर के केंद्र को वास्तु शास्त्र के अनुसार इसे ब्रह्म स्थान माना जाता है और आंगन घर का केंद्र बिंदु होता है,यह स्थान घर में ऊर्जा का केंद्र भी माना जाता है,इसीलिए इस स्थान को हमेशा साफ सुथरा रखें और हो सके तो खाली भी रखें ताकि सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह बना रहे।
6. पूजा घर
पूजा घर वह जगह होता है जहां से परिवार को शांति और सकारात्मक ऊर्जा प्रदान होता है, पूजा घर बनवाते समय ईशान कोण यानी की उत्तर -पूर्व दिशा में बनवाना चाहिए,क्योंकि इस दिशा में पूजा घर बनवाने से सूर्य उदय होते वक्त सूर्य की किरणें हमेशा सकारात्मक ऊर्जा प्रधान करवाती है
पूजा घर बनवाते समय इस बात का जरूर ख्याल रखें की पूजा करते वक्त आपका मुख उत्तर या पूर्व दिशा में होना चाहिए,साथ ही साथ इस बात का भी अवश्य ध्यान रखें की पूजा घर के ऊपर या नीचे किसी शौचालय या स्नान घर का निर्माण बिल्कुल भी ना कराएं और पूजा घर का पेंट का रंग नारंगी ,आसमानी या फिर हल्का पीला हो सकता है।
7. बाथरूम और शौचालय
वास्तु शास्त्र के अनुसार बाथरूम और शौचालय को घर में सबसे ज्यादा नकारात्मक ऊर्जा पैदा करने वाला स्थान माना जाता है,इसलिए यह बेहद जरूरी हो जाता है कि इसे सही दिशा और स्थान पर होना चाहिए, वास्तु शास्त्र के अनुसार शौचालय हमेशा उत्तर -पश्चिम या उत्तर कोने में होना चाहिए
इससे घर में सकारात्मक ऊर्जा आने लगती है, शौचालय में टॉयलेट सीट लगवाते समय इस बात का जरूर ध्यान रखें की शौच करते वक्त मुख उत्तर या दक्षिण दिशा में रहे,भूल कर भी इसे पूर्व या उत्तर- पूर्व कोने में न बनवाएं, इससे घर में नेगेटिव एनर्जी आने लगती है,और घर के सदस्यों को परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है, बाथरूम को घर की सतह से थोड़ा ऊंचा बनवाएं।
8. बेडरूम
बेडरूम वह स्थान होता है जहां से हम आराम करते हैं और अपनी सारी थकान मिटाते हैं, यदि बेडरूम का हम सही दिशा चयन नहीं करते हैं तो इससे मानसिक तनाव,स्वास्थ संबंधित समस्या, और नींद में दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है, वास्तु शास्त्र के अनुसार घर के मुखिया का बेडरूम दक्षिण पश्चिम दिशा में हो तो ज्यादा बेहतर है, वही शादीशुदा लोगों के लिए उत्तर और उत्तर पश्चिम में, बेडरूम में सोते समय इस बात का जरूर ख्याल रखें की
आप जिस दिशा में सो रहे हो आपका सर उत्तर या पश्चिम दिशा में नहीं हो, बेडरूम भूल कर भी दक्षिण पूरब दिशा में नहीं बनवाना चाहिए, बेडरूम में दरवाजे के सामने पलंग नहीं लगाए, बेडरूम की छत गोल नहीं होनी चाहिए, और जब भी आप सोने जाएं तो आपका सिर दक्षिण दिशा की ओर और पर उत्तर दिशा की ओर होनी चाहिए इससे स्वास्थ्य और ऊर्जा में वृद्धि होती है, बेडरूम में इस बात का जरूर ख्याल रखें की शीशा बिस्तर के सामने ना हो, इससे नकारात्मक और रिश्ते में दरार आता है।
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