ट्रम्प के एक बार फिर राष्ट्रपति बनने से भारतीयों को होगा लाभ

अमेरिका में राष्ट्रपति पद पर डोनाल्ड ट्रंप के चुनाव को कुछ लोगों ने अब तक की सबसे बड़ी राजनीतिक वापसी कहा है तो वह कुछ लोगों ने इस दुनिया का सबसे चरम रियलिटी टीवी शो का करार भी दिया है।अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में डोनाल्ड ट्रंप की करारी जीत पर खुशी से लेकर आत्मा को कुचलना वाली निराशा तक कई तरह की प्रतिक्रिया है सामने आ चुकी है। गौर करने वाली बात तो यह है कि ट्रंप की जीत ने पूरे वैश्विवक वित्तीय बाजार में तेजी को बढ़ावा दिया। 


शेयर बाजारों के साथ-साथ बिटकॉइन में भी रिकॉर्ड ऊंचाई दर्ज की गई। ट्रंप के इस जीत से अमेरिकी डॉलर भी मजबूत हुआ है। हालांकि शेयर बाजार के अगले ही सत्र में उत्साह कुछ ठंडा पड़ गया और बाजार ने यह समझना शुरू कर दिया कि ट्रंप 2.0 का शेयर की और वैश्विक अर्थव्यवस्था के लिए क्या अर्थ हो सकता है। दलाल स्ट्रीट में भी उतार चढ़ाव देखा गया। पिछले 6 नवंबर को निफ्टी ने 1.1% की छलांग  लगाई पर अगले दिन बाद बढ़त ठहर गई ।


ऐसे में क्या अमेरिकी चुनावी नतीजे पर भारतीय नजरिया से ध्यान केंद्रित करना बेकार की कवायद है? अमेरिका को फिर से महान बनाए जाने जैसा ट्रंप का नारा क्या वास्तव में भारत के घरेलू निवेशकों के लिए सही साबित हो पाएगा ? इसका सहज उत्तर ना भी हो सकता है,पर जैसा बाजार पर नजर रखने वाले अनेक दिग्गजों का तर्क है नीति निर्धारण के लिए ट्रंप को डिलीट दृष्टिकोण के साथ बंजारों की गहराई से जुड़ी प्राकृतिक का बहुत मतलब है।


भारत वैश्विक उथल-पुथल से अछूता नहीं रह सकता है चाहे वह राजनीतिक हो या वित्तीय। इसमें बिल्कुल भी शक नहीं है कि भारत में अर्थव्यवस्था के अनेक क्षेत्रों को ट्रंप की जीत से बड़ी उम्मीदें हैं। तो लिए उम्मीद पर नजर फेरते हैं ।दूसरी बार अमेरिका के राष्ट्रपति बनने जा रहे हैं डोनाल्ड ट्रंप ने अपने चुनाव प्रचार के दौरान शुल्क बढ़ाने का वादा किया है। मतलब कि वह अमेरिकियों का फायदा देख रहा है और विदेशियों के लिए परेशानी बढ़ सकती है। वह टैक्सों में कमी करेंगे और अप्रवासन के नियमों को भी खड़ा करेंगे।


वैसे चुनाव प्रचार के समय की बयान बाजी और नीतियां लागू करने के बीच अक्सर बड़ा अंतर होता है। फिर भी ट्रंप के नीतिगत बयानों को समझना दूरदर्शी लोगों के लिए फिलहाल ज्यादा जरूरी है। श्री राम लाइफ के अध्यक्ष और मुख्य निवेश अधिकारी अजीत बनर्जी बताते हैं कि फिलहाल, भारतीय बाजारों पर ट्रंप की जीत के प्रभाव का आकलन करना बहुत ज्यादा जल्दबाजी साबित होगी। बाजार इस समय ट्रंप प्रशासन द्वारा उनके पिछले कार्यकाल के अनुभव और चुनाव प्रक्रिया के दौरान दिए गए बयानों के आधार पर संभावित नीतियों पर विचार कर रहा है। 


बरहाल पहली नजर में भारतीय आईटी क्षेत्र है, जिसे न केवल अमेरिकी आर्थिक विकास और अमेरिकी कंपनियों द्वारा तकनीकी खर्चे में वृद्धि से लाभ होगा बल्कि मजबूत डॉलर से भी सुधार होगा। 6 नवंबर को अमेरिकी डॉलर 4 महीने के उच्चतम स्तर पर पहुंच चुका है, जिसका असर भारतीय रुपए सहित अधिकांश उभरते बाजारों की मुद्रा पर पड़ेगा। अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपया अब तक के सबसे निचले स्तर 84.87 पर पहुंच गया है।


कई विश्लेषकों का अनुमान है कि यह जल्द ही 85 के स्तर को पार कर जाएगा । रुपए का मूल्य डॉलर के मुकाबले घटना से भारतीय आईटी कंपनियों के लिए कुछ प्रतिकूल स्थिति बन सकती है। ट्रंप के सत्ता में वापस आने से कॉर्पोरेट कर दर कम होने की उम्मीद है। इससे उद्गमों द्वारा विवेकाधिन खर्च को बढ़ावा मिलेगा, जिसके चलते आईटी परियोजना पर अधिक खर्च होगा। याद दिला दे की ट्रंप के पहले कार्यकाल में निफ़्टी आईटी इंडेक्स 150 प्रतिशत तक बढ़ गया था। मतलब ट्रंप के आने से कुल मिलाकर आईटी कंपनियों के लिए स्थितियां अनुकूल बनी रहेगी। 


भारतीय आईटी कंपनियां अमेरिकी आईटी खर्चे में संभावित उछाल से लाभ लेने के लिए अच्छी स्थिति में है। हाल ही में दूसरी तिमाही के नतीजे ने भी अमेरिका में बैंकिंग वित्तीय सेवाओं और बीमा खर्चे में सकारात्मक रुझान का संकेत दिया है, जो भारतीय आईटी कंपनियों के लिए शुभ संकेत है। वैसे प्रस्तावित सख्त  आवर्जन मानदंडों का कुछ हद तक भारतीय आईटी कंपनियों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है, पर उनमें से अधिकांश कंपनियों ने वीजा पर अपनी निर्भरता कम कर रही है, जिससे उन्हें संभावित नीतिगत बदलाव से काफी हद तक सुरक्षा मिल पाएगी। 

इतना ही नहीं भारतीय आईटी कंपनियों ने अमेरिका,मेक्सिको और कनाडा जैसे बाजारों में स्थानीय लोगों की नियुक्ति बढ़ा दिया है। साथ ही ऐसे लोगों को काम पर रखना शुरू कर दिया है जो पहले से ही वैध वीजा के साथ उसे देश में मौजूद है। ध्यान रहे किसी भी मामले में ट्रंप का गुस्सा अवैध अप्रवासियों पर अधिक बरसता है । दूसरी ओर वैध प्रवासियों के प्रति उनका रुख अलग रह सकता है । पता यहां भी भारतीयों को ज्यादा चिंता की जरूरत नहीं है। 


हां ट्रंप ने टैरिफ में व्यापक वृद्धि का प्रस्ताव दिया है, पर अमेरिका के दुश्मन नवंबर 1 की चीन से आयत के लिए तारीफ या शुल्क ज्यादा रहेगा। अमेरिका की इस कदम से भारतीय निर्यातकों को लाभ हो सकता है। गौरतलब है कि ट्रंप ने अपने अभियान के दौरान भारतीयों को भी ट्रैफिक किंग और व्यापक दुर्व्यवहार  के रूप में चिन्हित किया था और भारतीय वस्तुओं पर शुल्क बढ़ाने की कसम खाई थी। हालांकि उन्होंने यह भी कहा था कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ उनका व्यक्तिगत समीकरण और चीन पर शिकंजा कसने की प्राथमिकता भारतीय कंपनियों के लिए अवसर की एक महत्वपूर्ण खिड़की में तब्दील हो सकती है। 


आपको बताते चले कि भारत के व्यापारिक निर्यात में अमेरिका का हिस्सेदारी लगभग 18 % है। भारतीय निर्यात में इलेक्ट्रॉनिक, मोती, कीमती पत्थर,दवा,परमाणु रिएक्टर, पेट्रोलियम उत्पाद, लोहा व इस्पात,ऑटो घटक और कपड़ा शामिल है।ध्यान रहे दवा की कीमत कम करना ट्रंप के एजेंडे में है इसके लिए भारतीय दवा कंपनियों को तैयार रहना चाहिए अगर भारतीय निर्यातकों ने अपने उत्पाद की गुणवता को सुनिश्चित रखा, तो फायदे में रहेंगे। 


व्यापक स्तर पर, अमेरिकी तेल और गैस क्षेत्र के लिए ट्रंप के मुख्य समर्थन से उत्पादन में उल्लेखनीय वृद्धि हो सकती है, जो वैश्विक कच्चे तेल की कीमत को नियंत्रण में रख सकती है । या भारतीय रिफाइनर और देश, दोनों के लिए अच्छा संकेत है। 2023-24 में कच्चे तेल पर भारत की आयात निर्भरता बढ़कर 87.7  प्रतिशत के सर्वकालिक उच्च स्तर पर पहुंच गई है। 


अतः ट्रंप अगर विषय स्तर पर कच्चे तेल की कीमतों को कम रखने में सहायक होते हैं तो भारत बहुत फायदे में रहेगा। वैसे भारत को घरेलू मोर्चे पर मजबूत रखना होगा। लोगों की आय बढ़ाना और साथ ही खपत बढ़ाना जरूरी है। यह काम भारत का है, इससे ट्रंप या व्हाइट हाउस के अफसर खास मदद नहीं कर सकते है 

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