भारत की जाने-माने उद्योगपति रतन टाटा का 9 अक्टूबर 2024 को मुंबई में निधन हो जाने के कारण सारा देश गमहीन हो गया, टाटा समूह की ओर से उनके निधन हो जाने की पुष्टि करने के बाद भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उनके निधन पर गहरा शोक जताते है
पीएम ने जताया शोक
भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रतन टाटा के निधन पर गहरा शोक जताते हुए उन्होंने लिखा है कि,"मेरे मन में श्री रतन टाटा जी के साथ हुई अनेकों मुलाकातों की यादें ताजा हैं, मैं जब गुजरात का मुख्यमंत्री था तब उनसे अक्सर विभिन्न मुद्दों पर बातें हुआ करते थे। उनके विचार हमेशा गहन और समृद्ध होती थी। यह संवाद दिल्ली आने के बाद भी जारी रहा। उनके निधन हो जाने से मैं अत्यंत दुखी हूं। इस दुख की घड़ी में मेरी संवेदनाएं उनके परिवार जनों मित्र और प्रसंस्को के साथ है। ओम शांति"
रतन टाटा के जीवन का परिचय
रतन टाटा भारत के सबसे सम्मानित जाने-माने उद्योगपति में से एक थे,रतन टाटा ने दुनिया भर के व्यापार में एक छाप छोड़ी है उनके नेतृत्व में टाटा समूह ने दुनिया भर में अपनी पहुंच का विस्तार किया, लैंड रोवर जैगुआर से लेकर कोरस स्टील जैसे प्रमुख ब्रांडों का व्यापार किया और खुद को एक पावर हाउस के रूप में स्थापित किया
रतन टाटा का जन्म 28 दिसंबर 1937 को मुंबई में हुआ था। 1948 में रतन टाटा के माता-पिता के अलग हो जाने के बाद उनकी दादी नवाज बाई टाटा ने उनका पालन पोषण किया था. रतन टाटा के पिता का नाम नवल टाटा था. और माता का नाम सूनी टाटा था.नवल टाटा की सिमोन टाटा से दूसरी शादी कर लेने के बाद उनका एक छोटा भाई जो जिमी टाटा और एक सौतेला भाई नोएल टाटा था जिनके साथ उनका पालन पोषण हुआ,रतन टाटा ने दसवीं कक्षा तक मुंबई के चैंपियन स्कूल में पढ़ाई की थी उसके बाद उन्होंने करनाल यूनिवर्सिटी से आर्किटेक्चर एंड स्ट्रक्चरल इंजीनियरिंग की डिग्री 1959 में प्राप्त की थी.
व्यवसाय
1968 में जब रतन टाटा ने जमशेदपुर में टाटा स्टील में काम किये तब उन्हें व्यापार की सभी बारीकियां समझ में आ गई फिर उन्होंने टाटा ग्रुप में अपने दमदार एंट्री और अपनी मेहनत और काबिलियत के दम पर घरेलू कारोबार को आसमान की बुलंदियों पर पहुंचाया. रतन टाटा ने अपनी ग्रुप की कमान 1991 में अपने हाथ में ले ली।
रतन टाटा का 21 वर्षों के कार्यकाल के दौरान राजस्व 40 गुना से अधिक तथा लाभ 50 गुना से अधिक बढ़ गया था. टाटा मोटर्स को जगुआर लैंड रोवर तथा टाटा स्टील को कोरस का व्यापार करने में मदद की जिससे यह संगठन मुख्य रूप से भारत केंद्रित समूह से वैश्विक व्यापार में परिवर्तन हो गया
रतन टाटा ने भारत के हर मिडिल क्लास फैमिली के लिए भी कम कीमत पर कार लॉन्च की थी जिसका नाम टाटा नैनो कार की संकल्पना तैयार की गई थी, यह कार ऐसी थी कि जो भारत के हर आम नागरिक के पास पहुंच सके
75 वर्ष की आयु पूरा हो जाने के बाद रतन टाटा ने 28 दिसंबर 2012 को सांस के अध्यक्ष से इस्तीफा दे दिया था, साइरस मिस्त्री को उनके उत्तराधिकारी नामित किया गया वैसे निदेशक मंडल और कानूनी प्रभाव ने 24 अक्टूबर 2016 को उन्हें हटाने के लिए मतदान किया और रतन टाटा को समूह का अंतिम अध्यक्ष बनाया गया
नमक से लेकर एयर इंडिया तक टाटा ग्रुप की व्यापार ने उड़ान भरी
रतन टाटा के नेतृत्व में टाटा ग्रुप ने अपने कारोबार का इतना विस्तार किया कि घर के रसोई से लेकर के आसमान की ऊंचाई तक दिखाई थी. आज हर घर में नमक,मसाले , पानी चाय, कॉफी, घड़ी,ज्वेलरी या लग्जरी कार,बस,
ट्रक,हवाई जहाज का सफर,टाटा ग्रुप का कारोबार के चलते ही मुमकिन हुआ है। आपको बता दे कि देश में इस 157 साल पुराने ग्रुप की 17 कंपनियां शेयर बाजार में लिस्टेड है जो कि यह अपने आप में बहुत ही बड़ी बात है, टाटा जी के विशाल कारोबारी साम्राज्य में करीब 935000 कर्मचारी काम कर रहे हैं
प्यार हुआ, लेकिन शादी नहीं हो सकी
भारत के सुप्रसिद्ध और सबसे ज्यादा आइडियल माने जाने वाले व्यक्तियों में से एक रतन टाटा थे जिन्हें भारत रत्न देने की मांग भी उठाई गई थी और उठाई भी क्यों नहीं जाए रतन टाटा का व्यक्तित्व ही कुछ ऐसा था कि आदर्श व्यक्तित्व के रूप में लोग जानने लग गए थे। सर रतन टाटा की भले ही शादी नहीं हो पाई लेकिन उनकी भी एक प्रेम कहानी रही, लेकिन या परवान नहीं चढ़ पाई, रतन टाटा को एक कंपनी में काम करने के दौरान लॉस एंजेलिस में प्यार हो गया था, लेकिन खुदा को कुछ और ही मंजूर था
रतन टाटा उस लड़की से शादी करने ही वाले थे तभी अचानक से उनको वापस भारत लौटना पड़ा क्योंकि उनकी दादी की तबीयत बहुत खराब हो चुकी थी. रतन टाटा को यह लगा था कि जिस महिला से वह प्रेम करते हैं वह भी उनके साथ भारत आ जाएगी,रतन टाटा के मुताबिक 1962 की भारत चीन लड़ाई के चलते उनके माता-पिता उस लड़की के भारत आने के पक्ष में बिल्कुल भी नहीं हुए , इस तरह से उनकी प्रेम कहानी अधूरी रह गई और रिश्ता टूट गया
प्रेरणा स्रोत है रतन टाटा
रतन टाटा की शख्सियत की बात कर तो वह एक बिजनेस ही नहीं बल्कि एक सीधा-सदा सादगी जीवन से भरे नेक और दरिया दिल इंसान भी थे, रतन टाटा लोगों के लिए आदर्श और प्रेरणा स्रोत भी थे, वे अपने समूह से जुड़े हर छोटे-बड़े कर्मचारियों को अपना परिवार जैसा मानते थे
सर रतन टाटा जी सब का ख्याल रखने में कोई कसर नहीं छोड़ते थे, इसके कई उदाहरण सामने है, इसके अलावा भी उन्होंने जानवरों से खास तौर पर स्ट्रीट डॉग्स से खास लगाव था, वे कई गैर सरकारी संगठन और एनिमल्स शेल्टरो को दान भी करते रहते थे। इसके साथ ही वह किसी भी विपदा या मुसीबत की स्थिति में हमेशा मदद के लिए तैयार रहते थे फिर चाहे वह मुंबई का 26/ 11 अटैक हो या फिर कोरोना जैसी महामारी का
अब सवाल उठता है कि रतन टाटा के निधन हो जाने के बाद उनका कारोबार कौन देखेगा
क्योंकि रतन टाटा ने कभी शादी नहीं की इसलिए यह सवाल लाजिमी है कि उनके निधन हो जाने के बाद उनका सारा कारोबार कौन देखेगा,रतन टाटा के सौतेले भाई नोएल टाटा अपने पारिवारिक संबंधों और ग्रुप की कई कंपनियों में भागीदारी के कारण टाटा की विरासत को आगे बढ़ाने के लिए एक मजबूत दावेदार हो सकते हैं । नवल और सिमोन टाटा के बेटे नोएल ट्रेंट, वोल्टास, टाटा इन्वेस्टमेंट और टाटा इंटरनेशनल के चेयरमैन हैं। पर अभी यह कहना बेहद मुश्किल है कि रतन टाटा के निधन हो जाने के बाद उनका सारा कारोबार कौन संभालेगा वैसे आपको बता दूं कि अभी फिलहाल में टाटा ग्रुप की कमान चंद्रशेखरन के हाथों में है, उन्होंने 2017 में टाटा संस के अध्यक्ष का पदभार संभाला था पर अब यह देखना दिलचस्प होगा कि टाटा रतन के जाने के बाद उनका सारा कारोबार किनके हाथों में आ जाएगा



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